माणिकनगर में श्रावणमास का अनुष्ठान चल रहा था। श्रीमन्मार्तंड माणिकप्रभु महाराज रात्रि के समय श्री प्रभु समाधि की प्रदोषपूजा संपन्न कर रहे थे। अचानक उन्हें प्रभु समाधि पर गिरनेवाले प्रकाश का आभास हुआ। उन्होंने जब महाद्वार की ओर देखा तो पाया कि वह प्रकाश संगम में जल रही चिता का था। चिता की अग्नि का प्रकाश प्रभुसमाधि पर गिरे, यह योग्य नहीं था। अतएव पूजा समाप्त होने पर उन्होंने संस्थान के तत्कालीन कार्यवाह श्री शंकरराव दीक्षित (श्री शंकर माणिकप्रभु) को बुलवाकर आज्ञा दी कि प्रभुमंदिर के सामने स्थित महाद्वार और संगम में स्थित स्मशान के बीच एक पश्चिमाभिमुख मंदिर बनवाया जाए ताकि स्मशान में जलनेवाली चिता का अमंगल दृष्य प्रभु मंदिर से दिखाई न पड़े। महाराजश्री की आज्ञानुसार मंदिर का निर्माण हो गया तथापि उस मंदिर में स्थापित करने के लिए देवता के विग्रह का प्रबंध नहीं हुआ था। तभी श्रीजी ने व्यवस्थापकों को बताया, कि भंडारखाने के पीछे प्रभु मंदिर के निर्माण के समय से कुछ पत्थर पड़े हैं और उन शिलाओं में खोजने पर शायद किसी देवता की मूर्ति मिल जाए। श्रीजी की इस आज्ञानुसार जब उस स्थान पर पत्थरों के टीले को हटाया गया तो वहॉं काले पाषाण में तराशी हुई हनुमानजी की एक अत्यंत सुंदर मूर्ति मिली। इ. स. 1916 के माघ मास में त्रयोदशी के दिन श्रीजी ने महाद्वार के ठीक सामने बने नए मंदिर में हनुमानजी की इस मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा अत्यंत वैभवपूर्ण रीति से संपन्न की। प्राणप्रतिष्ठा के अवसर पर श्रीजी ने यह घोषित किया, कि यहाँ विराजित हनुमान आज से कालाग्निरुद्र के नाम से जाने जाऍंगे।
सप्ताग्न्यष्टैकशाके शुभविबुधदिने माघशुक्लप्रदोषे।
कर्के चन्द्रे सुलग्ने नतजनसुखदो योगिराजाधिराजः।
श्रीमन्मार्तण्डराजोऽखिलविबुधगणैर्वैदिकैर्मन्त्रघोषैः।
वीरं कालाग्निरुद्रं सकलसुखकरं स्थापयामास सम्यक्।।
शके १८३७ माघ शुक्ल त्रयोदशी बुधवार (16 फेब्रुवरी 1916) के दिन नम्र हुए भक्तों को सुख प्रदान करनेवाले योगियों के सम्राट् श्री मार्तण्ड माणिकप्रभु महाराज ने विद्वान् वैदिक पंडितों के मंत्रघोष के बीच सभी प्रकार के सुख प्रदान करनेवाले वीर कालाग्निरुद्र हनुमान् की विधिवत् स्थापना की।
प्राणप्रतिष्ठा के समय मूर्ति की नेत्रोन्मीलन विधि के अवसर पर श्रीजी ने मूर्ति के सम्मुख एक बड़ा दर्पण रखवाया और कहा कि यह कालाग्निरुद्र अत्यंत तेजस्वी हैं, उनकी दृष्टि अत्यंत प्रखर है, इसलिए नेत्रोन्मीलन विधि के समय कोई भी मूर्ति के सम्मुख न जाएँ। प्राणप्रतिष्ठा की विधि के लिए अनेक विद्वान् निमंत्रित किए गए थे, उनमें से एक उत्साही ब्राह्मण कौतुहलवश परदे को हटाकर अंदर झांकने लगा। कहते हैं कि हनुमानजी के नेत्रों के प्रखर तेज से तत्काल उसके उत्तरीय में आग लग गई जो किसी तरह बुझा कर शांत कर दी गई। श्रीजी ने बाद में उस ब्राह्मण को फटकार कर कहा कि कभी भी देवताओं की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
कालाग्निरुद्र हनुमान माणिकनगर के रक्षक (कोतवाल) एवं प्रहरी हैं। श्रीजी ने कालाग्निरुद्र की स्तुति में अत्यंत सुंदर काव्य की रचना करते हुए इन्हें ‘माणिक क्षेत्र अभिमान रक्षण दक्ष’ कहा है। कालाग्निरुद्र की स्तुति में कहा गया है:
ध्यायेत्कालाग्निरुद्रं कपिनिकरवरं वातजं धीवरिष्ठं
पिङ्गाक्षं वामहस्ताखिलदुरितहरं दक्षहस्तेष्टपोषम्।
न्यस्तं मार्तण्डराड्भिः स्तुतचरणयुगं मण्डितं रामनाम्ना
माणिक्यक्षेत्रमानं दधतमुरुहृदि स्वर्णगोत्राभगात्रम्।।
अर्थात् सुवर्ण पर्वत की प्रभा के सम देहकांतिवाले एवं लालिमायुक्त भूरे नेत्रवाले, अत्यंत बुद्धिमान् व वानर समूह में सर्वश्रेष्ठ, वामहस्त से सर्व पापों का नाश करनेवाले एवं दक्षिण हस्त से भक्तजनों का पोषण करनेवाले, श्रीरामनाम ही जिनकी शोभा है ऐसे वायुपुत्र, श्रीमार्तण्ड माणिकप्रभु के द्वारा स्थापित, अपने विशाल हृदय में माणिकनगर क्षेत्र का अभिमान धारण करनेवाले ऐसे कालाग्निरुद्र हनुमान् का ध्यान सदा करना चाहिए।
आज दिनांक २५ फरवरी को १२५वे श्री कालाग्निरुद्र स्थापना दिवस के निमित्त मंदिर में हनुमानजी की महापूजा संपन्न की गई। इस अवसर पर भक्तजनों ने मिलकर भजन का आयोजन किया। कार्यक्रम के पश्चात् सद्भक्तों ने महाप्रसाद का लाभ लिया।
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🙏🌺||#श्री_माणिक्यप्रभोर्विजयते ||🌺🙏
श्री कालाग्निरुद्र स्थापना दिवस २०२१ – महापूजा
Shri Kalagnirudra Sthapana Divas 2020 – Mahapooja Shri Manik Prabhu Samsthan श्री क्षेत्र माणिकनगर जि. बिदर कर्नाटक.
🙏जय गुरू माणिक,
यह महत्वपूर्ण मंदिर इतिहास, हम सभी प्रभु भक्तों को आपने अवगत कराया, कोटी कोटी धन्यवाद!
🌷जय गुरू माणिक
🙏🌺||#श्री_माणिक्यप्रभोर्विजयते ||🌺🙏
श्री कालाग्निरुद्र स्थापना दिवस २०२१ – महापूजा
Shri Kalagnirudra Sthapana Divas 2020 – Mahapooja Shri Manik Prabhu Samsthan श्री क्षेत्र माणिकनगर जि. बिदर कर्नाटक.
🙏🌺||#श्री_माणिक्यप्रभोर्विजयते ||🌺🙏
श्री कालाग्निरुद्र स्थापना दिवस २०२१ – महापूजा
Shri Kalagnirudra Sthapana Divas 2020 – Mahapooja Shri Manik Prabhu Samsthan श्री क्षेत्र माणिकनगर जि. बिदर कर्नाटक.
श्रीमत्कालाग्निरुद्र स्थापना दिवसाबद्दल आपण आमच्या पर्यंत एवढी सुंदर आणि विस्तीर्ण माहिती पोहोचवली आहेत त्याबद्दल खूप खूप धन्यवाद
जय गुरु माणिक
🙏🙏🙏🙏🙏