(कार्तिक कृ. सप्तमी – श्री सद्गुरु ज्ञानराज माणिकप्रभु महाराज की ६२वीं जयंती के उपलक्ष में)
ज्ञानाकृति सच्चित्सुख प्रभु की
प्राप्त हमें है सगुण सुलभ।
पुण्य हुए हैं आज फलित जो
मिला ‘ज्ञान‘ आश्रय दुर्लभ।।
ज्ञानपुंज सद्गुरू हमारे
सच्चित्सुख औै ब्रह्मनिष्ठ।
तव वाणी के ही प्रभाव से
होते सब विचार सुस्पष्ट।।
ज्ञानदीप के इस प्रकाश से
दीप्त हमारा है संसार।
औ‘ प्रदीप्त हैं चित्त–बुद्धि के
वृत्ति, स्फूर्ति औ‘ भाव, विचार।।
ज्ञानामृत के महाउदधि तुम
एक बूँद भवताप हरे।
सतत पान से शमित हो रही
ज्ञान–तृषा धीरे धीरे।।
ज्ञानसूर्य तुम सदा उदित
तव किरणों से हम सब पुनीत।
जन्मदिवस के अवसर पर तव
चरणों में हम सब विनीत।।
ज्ञानरूप कर लो स्वीकृत
निज भक्तों का यह मृदुल भाव।
तर जाए भवसागर से अब
सकुशल हम भक्तों की नाव।।
वाह प्राची वाह!! फारच अप्रतिम.
खूपच छान 💐💐
Jai guru Manik
Jai Guru Manik
Thank You Mandakka🙏🏻
Purna Gurukrupa Phal He🙏🏻🙏🏻
खूपच छान 💐💐
Sow. Prachi , aapne hamare Sadguru ka varnan bahut hi sundar shabdon mein varnan kiya hai. Aapko bahut badhayi. Sadguru ki leela aparampar hai aur hum sab unse hamesha aashirvad prapt karte rahenge. Jai Guru Manik !🙏🙏🙏🙏
Thank You Sumakka🙏🏻
Jai Guru Manik🙏🏻🙏🏻
Great congratulation